🌊 नर्मदा परिक्रमा मार्ग आस्था और साधना का पथ
नर्मदा परिक्रमा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि यह जीवन को पुनः देखने की साधना है।
माँ नर्मदा के तटों पर चलने वाला हर यात्री यह अनुभव करता है कि प्रकृति, ईश्वर और आत्मा एक ही धारा में प्रवाहित हैं।
यह यात्रा लगभग 3500 किलोमीटर लंबी होती है और इसे अमरकंटक से प्रारंभ कर वहीँ समाप्त किया जाता है। साधक पहले उत्तर तट (North Bank) से चलते हैं और समुद्र के दर्शन के बाद दक्षिण तट (South Bank) से लौटते हैं।
🕉️ नर्मदा परिक्रमा मार्ग के प्रमुख चरण
नर्मदा परिक्रमा का मार्ग मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर गुजरता है।
यात्रा के दौरान तीर्थयात्री अनगिनत मंदिरों, घाटों, आश्रमों और प्राकृतिक स्थलों का दर्शन करते हैं।
🔸 1. अमरकंटक नर्मदा का उद्गम स्थल
यहीं से नर्मदा की पवित्र धारा प्रवाहित होती है। घने जंगलों और पर्वतों के बीच यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा है।
कीवर्ड्स: अमरकंटक नर्मदा उद्गम, नर्मदा परिक्रमा प्रारंभ स्थल
🔸 2. ओंकारेश्वर शिवलिंग के आकार का द्वीप
नर्मदा के बीच स्थित ओंकारेश्वर पर्वत स्वयं “ॐ” के आकार का है। यहाँ भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा होती है।
कीवर्ड्स: ओंकारेश्वर नर्मदा परिक्रमा, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
🔸 3. महेश्वर अहिल्याबाई की नगरी
राजमाता अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बसाया गया यह नगर नर्मदा तट पर स्थित है। महेश्वर घाटों की सुंदरता और यहाँ का शांति भाव हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देता है।
कीवर्ड्स: महेश्वर घाट, नर्मदा घाट महेश्वर
🔸 4. तिलकवाड़ा और गरुडेश्वर तप और त्याग की भूमि
यह क्षेत्र तपस्वियों की साधना भूमि है। गरुडेश्वर में स्वामी करुणानंद और भगवान दत्तात्रेय से संबंधित स्थलों के दर्शन होते हैं।
कीवर्ड्स: गरुडेश्वर नर्मदा तीर्थ, दत्तात्रेय मंदिर नर्मदा
🔸 5. भरूच जहाँ नर्मदा मिलती है सागर से
यात्रा का यह चरण समुद्र से मिलने की अनुभूति कराता है। यहाँ नर्मदा का अंत नहीं, बल्कि आत्मा का विस्तार महसूस होता है।
भरूच नर्मदा संगम, नर्मदा सागर मिलन स्थल
🛕 यात्रा में स्थित आश्रम और धर्मशालाएँ
नर्मदा के दोनों तटों पर सैकड़ों आश्रम, धर्मशालाएँ और संत निवास हैं जहाँ यात्रियों को भोजन, विश्राम और आध्यात्मिक संगति मिलती है।
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🌺 नर्मदा परिक्रमा के दौरान पालन करने योग्य नियम
- नंगे पैर चलना अनिवार्य है।
- नर्मदा नदी को पार नहीं करना चाहिए।
- दक्षिणाभिमुख रहना चाहिए।
- भक्ति, संयम और मौन साधना को अपनाना चाहिए।
इन नियमों के पालन से यह यात्रा केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक साधना बन जाती है।
🌼 निष्कर्ष नर्मदा के साथ एक आत्मिक संवाद
नर्मदा परिक्रमा मार्ग केवल भौगोलिक यात्रा नहीं, यह आत्मा की यात्रा है।
हर घाट, हर मोड़ और हर मंदिर में माँ नर्मदा की उपस्थिति हमें अपने भीतर झाँकने की प्रेरणा देती है।
“नर्मदे हर!” यही वह मंत्र है जो पूरी यात्रा में साधक के साथ चलता है।