नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत कैसे करें: एक संपूर्ण आध्यात्मिक गाइड

🕉 परिचय

नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत कैसे करें नर्मदा परिक्रमा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा का तप है। यह वह मार्ग है जहाँ साधक बाहरी संसार से दूर होकर अपने भीतर की नर्मदा से जुड़ता है। परिक्रमा का अर्थ है नर्मदा माता के चारों ओर श्रद्धा से चलना।

🌿 तैयारी

यात्रा से पहले मन, तन और साधन की तैयारी आवश्यक है। परिक्रमा से 11 दिन पहले संयम का पालन करें—

  • मांसाहार, मद्यपान और असत्य से दूर रहें।
  • जप-माला, ध्यान और नर्मदा आरती का अभ्यास करें।
  • केवल आवश्यक वस्तुएँ रखें— जल पात्र, वस्त्र, तौलिया, और दवा।

🌊 परिक्रमा की दिशा

नर्मदा परिक्रमा दक्षिण तट से आरंभ होकर उत्तर तट पर पूर्ण होती है। परिक्रमा सदैव दक्षिणावर्त (right to left) दिशा में की जाती है, जो श्रद्धा और नियम का प्रतीक है।

🪔 आरंभ का शुभ समय

माघ या कार्तिक पूर्णिमा से यात्रा आरंभ करना शुभ माना जाता है। यह समय प्रकृति और साधना दोनों के लिए संतुलित होता है।

🔱 नियम

  • किसी भी परिस्थिति में नदी को पार न करें।
  • हर दिन जल अर्पण और नर्मदा स्तोत्र का पाठ करें।
  • भिक्षाटन से भोजन ग्रहण करें, संग्रह न करें।
  • रात में अधिक चलना वर्जित है।

🙏 निष्कर्ष

नर्मदा परिक्रमा बाहरी यात्रा से अधिक एक अंतर्यात्रा है। जो नर्मदा के तट पर चलता है, वह अपने भीतर की शांति को खोज लेता है।


नर्मदा तट पर बसे हर तीर्थ में कोई न कोई कथा जीवित है। ये स्थल केवल पाषाण नहीं, बल्कि भक्ति के साक्षात प्रतीक हैं।

🔱 प्रमुख 15 तीर्थ:

  1. अमरकंटक – नर्मदा का उद्गम स्थल।
  2. ओंकारेश्वर – 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक।
  3. महेश्वर – अहिल्याबाई की नगरी।
  4. भड़ौंच (भरूच) – जहाँ नर्मदा समुद्र से मिलती हैं।
  5. हंडिया घाट – तीर्थ स्नान का पवित्र स्थान।
  6. होशंगाबाद (नर्मदापुर) – तट स्नान के लिए प्रसिद्ध।
  7. गरुडेश्वर – शंकराचार्य जी की समाधि स्थल।
  8. ममलेश्वर – ओंकारेश्वर के पारस्थल।
  9. तिलकवाड़ा – शांत और पवित्र आश्रम क्षेत्र।
  10. झिरी घाट – रहस्यमय नर्मदा दर्शन।
  11. सेलानी घाट – शांत जल और साधकों का निवास।
  12. राजघाट, मंडलेश्वर – जहाँ संतों का वास रहा।
  13. कलेश्वर – दुर्लभ शिवलिंग दर्शन।
  14. नरसिंहपुर – तप और साधना की भूमि।
  15. गरुणपुर – जहाँ श्रद्धा का स्वर गूंजता है।

🌿 निष्कर्ष

इन तीर्थों का दर्शन करना नर्मदा परिक्रमा को पूर्णता प्रदान करता है। हर घाट एक श्लोक की तरह है— भक्ति, इतिहास और आत्मज्ञान का।

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